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हिमालयी आजीविका परियोजना की ओर से क्षेत्र के किसानों को जैविक खेती करने की जानकारी देने के लिये पुरोला में तीन दिवसीय जैविक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण के प्रथम चरण में 33 गांव के किसानों को जैविक खेती करने के गुर सिखाये गए।
प्रशिक्षण में जानकारी देते हुये जैविक खेती विशेषज्ञ डॉ. किशोर नौटियाल ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में काफी समय तक रासायनिक खादों के प्रयोग से खेती ऊसर होने से उत्पादन में भारी गिरावट आ गयी है। वहीं रासायनिक खादों से उत्पादित दाल, सब्जियों व अन्य अनाजों के प्रयोग से आज पहाड़ों में 70 प्रतिशत लोग पथरी, पीलिया व हार्ट की बीमारी से ग्रसित हैं। नौटियाल ने कहा कि समय रहते क्षेत्र के काश्तकारों को रासायनिक खादों को छोड़ जैविक खेती क रने की आवश्यकता है, ताकि खेती को उसर होने से बचाने के साथ-साथ उत्पादकता में वृद्धि व बिमारियों से बचा जा सके। परियोजना के सहायक प्रबन्धक डॉ. दीपक चन्द्रा ने किसानों को जैविक खेती के लाभ, खाद्य प्रयोग करने के तरीके व बीजों की प्रजाति, विपणन के गुर बताये। साथ ही जैविक प्रमाणिकता, फसल चक्र सहित प्रति वर्ष उत्पादन में वृद्धि, बीज प्रजाति की विस्तृत जानकारी, जैविक खादों के प्रयोग की विधि, किसानों को फसल दस्तावेजीकरण करने को किसान डायरी बनाने की भी जानकारी दी। इस अवसर पर मनोज रावत, सोबत सिंह, कुन्दलाल, सोबन लाल, रमेश कुमार, सामी देवी, सुभद्रा देवी, रोशन कुमार, देवेंद्री सहित अन्य काश्तकार मौजूद रहे।
in.jagra.yahoo.com se sabhar
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