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सुदर्शन सिंह रावत | कहीं शिक्षकों का टोटा तो कहीं भवन व अन्य संसाधनों की कमी। ये हल हैं उत्तराखंड की बुनियादी शिक्षा और उच्च शिक्षा का | ऐसे में बच्चों का भविष्य कैसा होगा ये कहना थोरा कठिन है। इन्हीं अव्यवस्थाओं के बीच पढ़ाई करने को मजबूह हैं चोपता इंटर कॉलेज के 597 छात्र-छात्राएं। जहाँ पर बेसिक सुविधा तो दूर की बात, पढ़ने के लिए कोई भवन नहीं है। इसके अभाव में बच्चे खुले आसमान के नीचे पढने को मजबूर हैं।
तल्लानागपुर पट्टी के राजकीय इंटर कॉलेज चोपता में मौजूदा समय में कुल 597 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। विद्यालय के वर्ष 1965 में निर्मित भवन की जर्जर हालत होने के चलते इसके अंदर कक्षाएं संचालित करने में शिक्षकों को डर लगता है, ऐसे में बाहर आंगन में ही सभी कक्षाएं चलायी जा रही हैं। इसको देखते हुए सरकार ने यहां पर नए भवन निर्माण की मंजूरी तीन साल पहले दी थी। इसके बावजूद आज तक चारदीवारी भी नहीं बन पाई है। 80 लाख रुपए की लागत से बनने वाले इस भवन में अभी तक 27 लाख रुपए निर्माण निगम खर्च कर चुका है। इसमें भवन का ढांचा तक तैयार नहीं हो पाया है। ऐसे में जब बारिश आती है तो विद्यालय को बंद करना ही एकमात्र विकल्प रह जाता है। वहीं शिक्षा महकमा अभी तक इस ओर चुप्पी साधे हुए है।
भवन निर्माण न होने से कक्षाएं खुले आसमान के नीचे ही संचालित की जाती हैं, ऐसे में यदि बारिश हो जाती है तो छुट्टी करना ही एकमात्र विकल्प बचता है।
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