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जहां मैदानी इलाकों में दिन में गर्मी सताने लगी है, वहीं चकराता में 15 वर्ष बाद फरवरी के अंत में बर्फबारी ने सबको चौंका दिया है। इस मौसम में चार बार भारी हिमपात और दो बार बर्फ की बौछारें पड़ने से स्थानीय लोगों की जैसे मुंहमांगी मुराद पूरी हो गई है।
सात हजार फीट की ऊंचाई पर बसे पर्यटन स्थल चकराता में फरवरी माह के अंत में पंद्रह साल पहले भारी हिमपात हुआ था। घने जंगलों के बर्फ की चादर ओढ़ने से यहां ऐसा मनोरम दृश्य बन गया है, जिससे नजर नहीं हटाए हटती। चकराता में दिसंबर के अंत में पहला हिमपात और फरवरी माह के अंत में भारी हिमपात ने वाकई लोगों को चौंकाया है, इसकी मुख्य वजह यह है कि पिछले कई वर्षो से ऐसा नहीं हुआ। क्षेत्र के देवबन, मुंडाली, खंडबा, बुधेर, मोइला डांडा के पहाड़ तो कई बार बर्फबारी होने के कारण अभी तक भी दूधिया छटा बिखेर रहे हैं। शरद ऋतु इस बार पूरी तरह से मेहरबान रहेगी, यह बात स्थानीय लोगों को भी अचंभित कर रही है। 26 फरवरी को हुई बर्फबारी पर क्षेत्र के बुजुर्ग काश्तकार नैनसिंह, अर्जुनदत्त जोशी, श्रीचन्द जोशी, गुदूटिया कहते हैं कि कई वषरें बाद अच्छी बर्फबारी देखने को मिली है, जो खेती व बागवानी के लिए शुभ संकेत है। फरवरी के अंतिम सप्ताह में बर्फवारी के कई लाभ होते हैं। एक तो प्राकृतिक जल स्रोत रिचार्ज हो जाते हैं, दूसरा फसलों में नमी के कारण उत्पादन बेहतर होता है और वनों में अच्छी हरियाली से पशुओं के लिए चारे की समस्या भी हल हो जाती है।
कब-कब हुई बर्फबारी
पुराने रिकार्डो पर नजर डालें तो 1996 में तीन बार बर्फवारी हुई थी, जिसमें पहला हिमपात 28 दिसंबर को तथा अंतिम हिमपात 20 फरवरी को हुआ था। इसके बाद वर्ष 1998 व वर्ष 2002 में दो बार बर्फवारी हुई थी। उसके बाद पिछले 8 वषरें में हल्की फुल्की बर्फबारी ही हुई और वर्ष 2011 में हिमपात ने पिछले सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए।
तीन डिग्री पहुंचा पारा
चौथे भारी हिमपात ने छावनी बाजार का तापमान 3 डिग्री तक पहुंचा दिया। छावनी बाजार में कड़ाके की सर्दी होने से लोग घरों में दुबके रहे। दिन भर अंगीठियां सुलगती रहीं। जबकि क्षेत्र के स्कूलों की छुट्टी घोषित कर दी गई। वहीं, शीतलहर के चलते क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्र चहल पहल कम रही है
jagran.yahoo.com se sabhar
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