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Wednesday, January 5, 2011

पहाड़ी क्षेत्रो में सदियों से चली आ रही घेरलू उपचार प्रथा संकट में ?

सुदर्शन सिंह रावत | उत्तराखंड के पहाड़ी  क्षेत्रो में  सदियों  से चली आ रही घेरलू उपचार व वैध प्रथा आज संकट के दौर से गुजर रहा है यदि उत्तराखंड सरकार इस तरफ ध्यान देती तो कई लोगो को रोजगार  के साथ  साथ  पुराने समय से चली आ रही घेरलू उपचार को लुप्त  होने से बचाया  जा सकता था  वही उत्तराखंड सरकार द्वारा  स्वामी रामदेव बाबा को   पुर्व कांग्रेस  सरकार के समय राज्य की बेशकीमती भूमि बाबा रामदेव के संस्थान को आंवटित की गयी थी और तमाम हर  तरह की सुविधायें प्रदान की गयीं जबकि ग्रामीण क्षेत्रो  में वर्षो  से चली आ रही वैध प्रथा पर कोई ध्यान नहीं दिया गया पौड़ी  गढ़वाल के नैनीडांडा ब्लाक के  ग्राम सुपगुणा मूल  निवासी जगदीश उनियाल  का कहना है कि उत्तराखण्ड जड़ी-बूटियों वाला प्रदेश है। यहां की भौगोलिक परिस्थिति एवं वातावरण इसके अनुकूल हैं। सरकार ने  किसानों को बाजार उपलब्ध कराया है  दलाल को बेचने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार ने जड़ी-बूटी किसानों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए ही पतंजलि योगपीठ से समझौता किया है। स्वामी रामदेव ने स्पष्ट कहा है कि उत्तराखण्ड के किसानों की पूरी जड़ी बूटी खरीदेंगे। किसान भी सीधे पतंजलि सेंटर पर जाकर अपना उत्पादन बेच सकते हैं। इसके अलावा सरकार ब्लॉक स्तर पर जड़ी-बूटी लगाने के लिए किसानों को प्रशिक्षित कर रही है। दर्जनों जड़ी-बूटियों का न्यूनतम मूल्य भी निर्धारित किया गया है। न्यूनतम मूल्य से कम  कीमत पर कोई भी जड़ी बूटी नहीं खरीदी जा सकती है।परन्तु आधिकारियो  की उदासीनता के चलते जड़ी-बूटी की खेती करने वाले किसानों को खरीददार नहीं मिल रहे हैं। उन्हें बिचौलिए को सस्ते दामों पर अपना उत्पादन बेचना पड़ता है  लोगो के लाख प्रयास के बाबजूद अब  नई  पीढ़ी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है नई पीढी  का कहना है कि इस में मेहनत के अलावा कुछ नहीं है यदि यही स्थिती रहेगी तो हमें तो रोटी के लाले पड़ जायेंगे यदि सरकार  आयुर्बैदिक जड़ी बूटियों से जोड़े लोगो को  सुबिधाये प्रदान करती  तो आज कई लोगो को रोजगार भी मिल जाता  पंडित जगदीश उनियाल ने कहा है कि आज के भागदोड भरी जिन्दगी में खाने क समय नहीं है जिस कारण अधिकतर लोगो को  आज एसीडिटी की समस्यां बनी रहती है यदि निम्न घरेलु उपचार पर ध्यान दे तो कुछ हद तक   एसीडिटी  से बचा जा सकता है| 
(1) लौग का टुक़डा चूसने से एसीडिटी मे राहत मिलती है|
(2) दूध तथा दुध उत्पादो का एसीडिटी के दौरान उपयोग करने से राहत मिलती  है |                                                                          (3) ताजा पुदीने के रस का रोज सेवन करना एसीडिटी के लिए एक बेहतर उपाय है |                                                                            (4) ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका तथा दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से पहले सेवन करें, यह भी एक बेहतरीन उपाय है |
(5) एक गिलास पानी मे साबुत जीरे को उबाले तथा छानकर भोजन करते समय साथ मे ले |
(6) मसालेदार भोजन, अचार तथा तले हुए खाद्य पदार्थो के सेवन से बचे क कक़डी तरबूज तथा केले जैसे फलो का सेवन भी एसीडिटी को कम करता है तथा यह एक अच्छा घरेलू उपाय भी है|
(7) पुदीने और मुलेठी युक्त हर्बल चाय भी एसीटिडी कम करने का एक और उपाय है क सुबह उठते ही जल का सेवन करना भी एसीडिटी को कम करता है।
(8) एसीडिटी को कम करने के घरेलु उपाय मे अपने भोजन के साथ दो चम्मच सफेद सिरके का उपयोग करना भी कारगर साबित होता है।
(9) एस्प्रीन तथा डिस्प्रीन जैसी दवाइयो के लगातार सेवन से परहेज करे क खाने के तुंरत बाद प्रतिदिन 10 ग्राम गुड का सेवन करना एसीडिटी को बनने से रोकता है|
(10) प्रतिदिन फ्ता गोभी का रस पीने से भी एसीडिटी मे आराम मिलता है क प्याज तथा मूली की तरह एसिड बनाने वाले  कच्चो सलादो का प्रयोग नही करना चाहिए|
(11) सोने से कम से कम दो घंटे पूर्व भोजन कर लेना काफी लाभदायक होता है क दिन मे 3-4 बार नारियल पानी के सेवन  से  भी एसीडिटी कम होती है |
(12)  दही का सेवन एसीडिटी में तुंरत लाभ करता है |
(13)  एक गिलास पानी के साथ एक चम्मच सोडे का प्रयोग भी एसीडिटी को कम करने का बेहतरीन उपाए है, अदरक के एक छोटे टुक़डे का गुदा बना ले तथा इसमे बराबर मात्रा मे धनिया मिलाए,  दोनो को अच्छे से मिलाकर सेवन करे, एसीडिटी मे अवश्य लाभ मिलता हैं |

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