कोई भी विद्यालय अब किसी भी बच्चे को जन्म प्रमाणपत्र के अभाव में दाखिला देने से इंकार नहीं कर सकेगा। इसके साथ ही कक्षा एक से आठ तक की कक्षा का न कोई विद्यार्थी फेल होगा और स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा। यह व्यवस्था शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत लागू होने जा रही है। इस बाबत राज्य परियोजना निदेशालय (सर्वशिक्षा॒अभियान) के तत्वावधान में मंगलवार को यहां जीजीआईसी॒के सभागार में शिक्षा के अधिकार अधिनियम पर जानकारी देने को कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें निदेशालय के विशेषज्ञों ने प्रोजेक्टर॒के माध्यम से इस अधिनियम की विस्तार से जानकारी दी। निदेशालय से आए वरिष्ठ॒विशेषज्ञ किशन स्वरूप ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लेकर राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से ५२॒पृष्ठ॒की नियमावली बनाई गई है। इसमें किस तरह के सुधार होने चाहिए, इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ वर्कशाप कर उनके सुझाव एकत्र किए॒जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस नियमावली में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अलावा नागरिकों एवं विभिन्न संगठनों के भी सुझाव आमंत्रित किए॒गए॒हैं, इसके बाद इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। वरिष्ठ॒विशेषज्ञ ने बताया कि छह वर्ष से लेकर १४वर्ष तक का कोई बच्चा प्रवेश के लिए स्कूल पहुंचता है और उसने कहीं भी शिक्षा नहीं ली है तो ऐसी स्थिति में आयु के अनुपात में उसे कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। इसके साथ ही वह बालक चाहें अपनी कक्षा के अन्य छात्रों के बराबर आ सके इसके लिए॒ऐसे बालकों को अलग से प्रशिक्षण देने की व्यवस्था होगी। उन्होंने बताया कि अब कोई भी विद्यालय किसी भी बच्चे को प्रवेश देने से इंकार नहीं कर सकेगा, इसके लिए॒किसी तरह के जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होगी। पब्लिक स्कूलों को भी २५॒फीसदी बच्चों को निशुल्क प्रवेश देना होगा। यह भी बताया गया कि बीस बच्चों पर एक किलोमीटर के दायरे में प्राइमरी स्कूल और तीन किलोमीटर के दायरे में उच्च प्राथमिक स्कूल होगा। कार्यशाला में शामिल अधिकारियों के ग्रुप बनाकर ग्रुप डिस्कशन॒भी कराया गया तथा उन्होंने सुझाव दिये।
amarujala.com se sabhar
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