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(सुदर्शन सिंह रावत ) अल्मोड़ा जिले के खुबसूरत पर्वतीय स्थल में बसा मानिला जो की मन को मोह लेता है मानिला पहुचने के लिए दिल्ली-मानिला रोडबेज बस लेकर सीधा १२ घंटे के सफ़र से मनीला पहुच सकते है या पुरानी दिल्ली से रानीखेत एक्सप्रेस पकड़ कर रेल मार्ग से रामनगर पहुच कर बस से सफ़र कर जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से होकर ३-४ घंटे के सफर से यहाँ पहुँच सकते है मानिला में सरकारी डाक बंगले और गेस्ट हाउस भी हैं। विदेशी पर्यटकों की भी आवाजाही रहती है। मल्ला मानिला के परिसर में एक संस्कृत विद्यालय और दूरदर्शन का रिले सेंटर है। रथखाल से आगे तल्ला मानिला का मंदिर का बस स्टॉप है और वहीं एक रास्ता मानिला इंटर कालेज और महाविद्यालय की ओर जाता है। । देवभूमि के इस प्रदेश में प्रकृति-तीर्थ के को बखूबी समझा देता है। मानिला देवदार, फर, चीड़ के शंकुल वृक्षों से ढका प्रदेश है। यहाँ भगवती माँ दो मंदिर हैं- तल्ला (नीचाई) मानिला और मल्ला ( ऊँचाई) मानिला। जनश्रुति है कि पहले केवल तल्ला मानिला में एक ही मंदिर था कुछ चोर मंदिर में देवी की मूर्ति को चुराने के लिए आए। उनसे पूरी मूर्ति उठाई नहीं गई । चोर मूर्ति का केवल एक हाथ काटकर ले जाने लगे। कहते हैं उस वक्त देवी माँ चिल्लाई भी थी। उसकी चीख को लोगों ने भी सुना था। चोर रास्ते में देवी का कटा हुआ हाथ ले जाते समय इतना भारी हो गया कि उन चोरों ने विश्राम करने के लिए उसे जमीन पर रख दिया। उसके बाद वह हाथ वहीं जम गया । कालांतर में वहाँ पर मल्ला मानिला का मंदिर बनाया गया। तल्ला मानिला के मंदिर में देवी की सप्तभुजा वाली प्रतिमा है और मल्ला मानिला के मंदिर में हाथ की प्रस्तर प्रतिकृति,माँ की सक्ति को देखने मंदिर में बारहों महिना विदेशी पर्यटकों व स्थानीय लोगो की आवाजाही रहती है मार्च के महीने में चारो तरफ फूलों के महक से पूरा वातावरण खिल उठता है फूलों क राजा भुरांस अपने खूबसूरती के कारण सबके मन को मोह देता है । हर गावं व खेत खलियान के में आज भी यह गीत, मेरी मानिला डानी तेरी बलाई ल्यूला, तु भगवती छै भवानी तेरी बलाई ल्यूला (मेरी मानिला के ऊँचाई पर बसे घने जंगल मै तुम्हारी बलाएँ लेता हूँ सुनने को मिलता है कहते है की जो भी मानिला के देवी माँ के मैन्दिर में आते है और सचे दिल से मनोती मंगाते है तो मया उनकी मनो कामना पूरी करती है !
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7 months ago
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thank for connect to garhwali bati