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Thursday, January 6, 2011

उत्तराखंड राज्यकर्मियों को सरकार ने दिया तोहफा

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प्रदेश सरकार मंगलवार को कार्मिकों पर विशेष मेहरबान दिखी.
सरकार ने जहां शिक्षकों को सत्रांश लाभ देने के साथ-साथ एलटी से प्रवक्ता पद पर पदोन्नति के लिए बीएड की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया. वहीं मिनिस्टीरियल संवर्ग के लिए माडल सर्विस रूल्स बनाने पर सहमति जता दी है. इससे इस संवर्ग में पदोन्नति के अवसर बढ़ेंगे.
इसके अलावा संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन कर सभी संस्कृत महाविद्यालय उसके अधीन लाए गए हैं. साथ ही वन विभाग में मानचित्रकार एवं वन क्षेत्राधिकारी की सेवा नियमावली, स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की भर्ती सेवा नियमावली, नायब तहसीलदार सेवा नियमावली व होमगार्ड में समूह ग के पदों के लिए सेवा नियमावली का अनुमोदन कर दिया है.
मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के निर्णय की जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव व एफआरडीसी राजीव गुप्ता ने बताया कि प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षकों को अब सत्रांश लाभ दिया जाएगा. इसके तहत शैक्षिक सत्र के बीच में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों को अब 31 मार्च तक का सेवा विस्तार स्वत: मिल जाएगा. इसके साथ ही प्रवक्ता में 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती के और 50 प्रतिशत पद पदोन्नति के हैं. पदोन्नति वाले इन पदों में एलटी के शिक्षकों को पदोन्नत किया जाता है, लेकिन इसके लिए बीएड होना अनिवार्यता था.
उन्होंने बताया कि एलटी के शिक्षकों के लिए प्रवक्ता पद पर पदोन्नत होने के लिए बीएड की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है. प्रदेश में विभिन्न विभागों में मिनिस्टीरियल संवर्ग की सेवा नियमावली में एकरूपता लाने के लिए माडल सर्विस रूल्स बनाने की मांग की जा रही थी. ताकि सभी विभागों में  पदोन्नति के अवसर एक समान हो सकें. इनके लिए कार्मिक विभाग की ओर से माडल सर्विस रूल्स तैयार कर लिया गया है. कार्मिक विभाग की ओर से दिए गए प्रस्ताव के अनुसार मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ट सहायक का पद सीधी भर्ती का होगा. इस पद पर सात वर्ष की सेवा के उपरांत उसकी पदोन्नति प्रवर सहायक पर, इस पद पर पांच वर्ष की सेवा के बाद अगली पदोन्नति मुख्य सहायक पद पर होगी.
इस पद पर तीन वर्ष की सेवा के बाद वह प्रशासनिक अधिकारी व उसके बाद दो वर्ष की सेवा के बाद वह वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बन सकेगा. कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए इसमें और अधिक संभावनाओं को देखने के लिए कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी है. इसमें कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट व खजान दास के अतिरिक्त न्याय, कार्मिक व वित्त के प्रमुख सचिव को सदस्य बनाया गया है.
प्रदेश में करीब 84 संस्कृत महाविद्यालय हैं. वर्तमान में ये सभी उत्तराखंड शिक्षा परिषद के अधीन हैं. इन सभी महाविद्यालयों को उत्तराखंड शिक्षा परिषद से अलग करते हुए उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन कर उसके अधीन कर दिया गया है.  प्रमुख सचिव पीसी शर्मा ने बताया कि संस्कृत शिक्षा परिषद ही अब संस्कृत महाविद्यालयों की परीक्षा से लेकर मूल्यांकन, पाठ¬क्रम का निर्धारण, आचार्यो के प्रशिक्षण से लेकर संस्कृत के प्रचार-प्रसार का कार्य करेगी. इसका मुख्यालय देहरादून में स्थापित होगा. परिषद में एक सचिव, एक उपसचिव सहित कुल नौ पद होंगे. उन्होंने कहा कि संस्कृत को राज्य की द्वितीय भाषा बनाया गया है.
साथ ही हरिद्वार व ऋ षिकेश को संस्कृत नगरी के रूप में और कुमाऊं व गढ़वाल मंडल में एक-एक गांव को संस्कृत गांव के रूप में विकसित किया जाना है. इसके लिए शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है, जो इसका स्वरूप तय करने के लिए विस्तृत रिपोर्ट देगी. इसके अतिरिक्त यह भी तय किया गया है कि प्रत्येक जिलाधिकारी के कार्यालय में और शासन में एक पद संस्कृत अनुवादक का होगा. सभी कार्यालयों में नेम प्लेट संस्कृत में भी लिखी हुई होंगी.
 samaylive.com se sabhar

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