निजी कंपनियां अब ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराने का काम करेंगी.
ग्रामीण क्षेत्रों में निजी कंपनियों की भागीदारी का रास्ता साफ हो गया है. केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल योजनाओं में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की गाइड लाइनों में अहम बदलाव किए हैं.
ये बदलाव प्रोविजन ऑफ अरबन एमिनिटीज इन रूरल एरिया (पुरा ) योजना को लेकर किए गए हैं. केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को ताकीद की है कि वह प्रदेश में इन बदलावों के हिसाब से काम करे. इन बदलावों से ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था निजी कंपनियों को सौंपने की अड़चन दूर हो जाने की उम्मीद है. प्रदेश के शहरों में पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी जल संस्थान पर है.
ग्रामीण इलाकों में जहां ज्यादातर एकल ग्राम योजनाएं ग्रामीणों को सौंप दी गईं हैं वहीं बहुल ग्राम पेयजल योजनाएं जल निगम या जल संस्थान के अधीन हैं. इनमें से भी ज्यादातर को जल संस्थान को सौंपने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है.
इसके अलावा प्रदेश में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पुरा के तहत राजधानी देहरादून के मारखम ग्रांट गांव को चुना गया है. इसके तहत एक निजी कंपनी इस गांव में बिजली पानी, सड़क, सीवर, जलनिकासी और टेलीफोन आदि जैसी सुविधाएं मुहैया कराएगी. सरकार के इस कदम को बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी करने की शुरूआत है.
पुरा के क्रियान्वयन में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता मिशन की कुछ गाइड लाइंस आड़े आ रही थी इसलिए उनमें बदलाव कर दिया गया है. इससे गांवों में पेयजल आपूर्ति का क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए खुल जाएगा.
केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के निदेशक सुजॉय मजूमदार ने प्रदेश के पेयजल सचिव को पत्र लिख कर बताया है कि ये बदलाव इसलिए किए गए हैं ताकि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम और पुरा में तालमेल बिठाया जा सके.
यह बदलाव किए जाने से सरकार द्वारा ग्रामीण पेयजल योजनाओं के लिए निजी कंपनियों को धनराशि मुहैया कराने में कोई अड़चन नहीं आएगी. अब तक पेयजल योजनाओं के संचालन व प्रबंधन के लिए अलग से धनराशि का प्रावधान था लेकिन अब पुरा परियोजना के मामले में इस राशि को उस ग्रांट में नहीं शामिल किया जाएगा जो निजी कंपनी को पुरा के तहत मिलेगी.
यही नहीं, ग्राम पंचायत स्तर पर पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी अभी तक पेयजल से जुड़े विभागों या ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता समिति की थी, लेकिन नई स्थिति में यह जिम्मेदारी उस निजी कंपनी की होगी, जो पुरा के तहत गांवों में सुविधाएं मुहैया करा रही होगी.
इतना जरूर है कि इस कंपनी को ग्रामीण पेयजल एवं स्वच्छता समिति के साथ मिल कर काम करना होगा. यही नहीं नई पेयजल योजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का काम भी निजी कंपनी को ही करना होगा.
डीपीआर को ग्राम्य विकास मंत्रालय की इंपार्वड कमेटी से अनुमोदित कराना होगा. पुरा के मामले में पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के तहत जारी होने वाली धनराशि कंपनी के साथ हुए समझौते की र्शतो के मुताबिक एडवांस में डीआरडीए को जारी होगी. जिसके बाद डीआरडीए योजना की गाइडलाइनों के मुताबिक धनराशि अवमुक्त करेगा.
samaylive.com se sabhar
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