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Tuesday, January 25, 2011

बीती ताहि बिसार 2012 की सुध ले

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पता नहीं प्रदेश भाजपा के धड़ेबाज नेताओं की समझ में कितना आया लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन्हें साफ संदेश दे दिया है कि अगर वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव जीतना है तो आपसी कड़वाहट को भूल आगे बढ़ना होगा। उत्तराखंड को जनाधार के पैमाने पर अव्वल श्रेणी में शुमार कर आला नेताओं ने सूबाई क्षत्रपों को गरम और ठंडे, दोनों तरीकों से यह समझाने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी कि आंतरिक कलह पार्टी के भविष्य के लिए घातक हो सकता है।
ऋषिकेश के निकट राजाजी नेशनल पार्क के वंदे मातरम् कुंज में आयोजित तीन दिनी प्रशिक्षण शिविर में हालांकि पार्टी विधायकों, मंत्रियों और पदाधिकारियों को वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं से कई व्याख्यान सुनने को मिले मगर पूरा कार्यक्रम एक तरह से आगामी राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर ही केंद्रित रहा। चुनावी तैयारियों के लिए पार्टी को वैचारिक व राजनैतिक मंथन के जरिए प्रेरित करने के उद्देश्य के साथ इस कार्यक्रम में यह भी साफ हो गया कि पार्टी नेतृत्व उत्तराखंड में अंदरूनी धड़ेबाजी से अच्छी तरह वाकिफ तो है ही, साथ ही खासा चिंतित भी है।
केंद्रीय नेतृत्व ने इस मुद्दे पर प्रदेश इकाई को आड़े हाथ लेने से भी गुरेज नहीं किया। वर्तमान सीएम के साथ ही तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के सियासी तजुर्बे का लाभ लेने की नसीहत के निहितार्थ स्पष्ट हैं कि चारों के चार दिशाओं में मुंह करने की बजाए एकजुट होकर पार्टी के लिए काम करने से ही अगला चुनाव जीता जा सकता है। उत्तराखंड को पार्टी जनाधार के लिहाज से अव्वल श्रेणी राज्यों में शामिल कर नेतृत्व ने यह भी संकेत दे दिए कि इस जनाधार को किस तरह जनमत में तब्दील किया जाए, यह प्रदेश इकाई की जिम्मेदारी है। वरिष्ठ नेताओं ने अलग-अलग तरीकों से स्थानीय नेताओं को समझाने की कोशिश की कि आपसी कड़वाहट को भूल कर सरकार के सकारात्मक मुद्दों को अवाम तक पहुंचाया जाए, तो इसे हासिल करना मुश्किल भी नहीं।
उत्तराखंड के विशेष संदर्भ में भाजपा के स्थापना दिवस छह अपै्रल को बूथ स्तर पर आयोजित किए जाने के मूल में भी पार्टी की चुनावी तैयारियों की झलक ही नजर आई। इसके अलावा पार्टी ने एक महत्वपूर्ण निर्णय मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल को उत्तराखंड में सांसद प्रभारी नियुक्त करने का लिया। दरअसल, मौजूदा समय में राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है और इस वजह से यह महसूस किया गया कि इस कमी से राज्य के मुद्दों को संसद में उठाने में चूक हो रही है। प्रदेश अध्यक्ष को नेतृत्व ने हिदायत दी कि वे पार्टी के सालभर के कार्यक्रमों का विस्तृत ब्योरा तैयार कर उपलब्ध कराएं। संगठन को यह जिम्मेदारी भी दी गई है कि वह सरकार को पार्टी हित में सुझाव देने में कोई कोताही न करे। जिलाध्यक्षों समेत कई पार्टी नेताओं से केंद्रीय नेताओं की वन टू वन बातचीत भी इस शिविर के दौरान हुई और उन्हें भी संभवतया नेतृत्व की ओर से 'बीती ताहि बिसार दे, 2012 की सुध ले' का सूत्र वाक्य ही रटाया गया।
in.jagran.yahoo.com se sabhar

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