आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक की कर्मस्थली 'चरेख डांडा' में शासन ने गत वर्ष भले ही अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेदिक आयुष संस्थान खोलने की घोषणा की हो, पर चरेख में संस्थान के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध न होने से अब शासन ने चरेख में संस्थान की इकाई खोलने की निर्णय लिया है। संस्थान की स्थापना कोटद्वार व आसपास के क्षेत्रों में होगी। इसके लिए क्षेत्र में 50 एकड़ भूमि की तलाश शुरू कर दी गई है।
गत वर्ष जून माह में प्रदेश सरकार ने 'चरेख डांडा' में अंतर्राष्ट्रीय आयुष शोध संस्थान बनाने की घोषणा की। शासन के निर्देश पर चरेख डांडा में संस्थान खोलने को भूमि की तलाश भी शुरू कर दी गई। प्रशासन ने चरेख डांडा में 'देवता तोक' नामक स्थान पर भूमि का चयन कर लिया। चयनित भूमि में से कुछ भूमि केसर-हिंद भूमि थी, जबकि कुछ ग्रामीणों की नापभूमि थी। प्रशासन ने भूमि चयन संबंधी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। इसके बाद शासन की टीम ने चयनित भूमि का स्थीय निरीक्षण किया और चयनित भूमि को अपर्याप्त बताते हुए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराने की मांग प्रशासन से की।
उधर, टीम के दौरे के बाद ग्रामीणों का मन भी बदल गया और ग्रामीण भूमि देने में आनाकानी करने लगे। उनका कहना था कि देवता तोक के इर्द-गिर्द की तमाम भूमि उपजाऊ है और इस भूमि में पैदा फल-सब्जी उनकी आर्थिकी का मुख्य जरिया है। इधर, शासन ने गत सितंबर माह में चरेख डांडा में पर्याप्त भूमि न मिलने की स्थिति में कोटद्वार व आसपास के क्षेत्रों में संस्थान की स्थापना को भूमि तलाश के निर्देश दे दिए। प्रमुख सचिव राजीव गुप्ता की ओर से 30 सितंबर को डीएम को प्रेषित पत्र में अंतर्राष्ट्रीय आयुष शोध संस्थान की इकाई स्थापित करने को चरेख डांडा में दस हेक्टेयर भूमि व विस्तृत अंतर्राष्ट्रीय आयुष शोध संस्थान की स्थापना को कोटद्वार व आसपास के क्षेत्रों में 50 एकड़ भूमि चयनित करने के निर्देश दे दिए।
गुरुवार को एसडीएम जीसी गुणवंत ने चरेख का दौरा किया और ग्रामीणों से वार्ता कर दस हेक्टेयर भूमि का चयन किया। ग्रामीण भी देवता तोक से सटे झंपो, पालीबाटा व भदवाड़ तोक में अपनी नापभूमि देने में रजामंद हो गए हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
चरेख डांडा में अंतर्राष्ट्रीय आयुष शोध संस्थान की इकाई के लिए भूमि चयनित होने के उपरांत कोटद्वार में विस्तृत अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान के लिए भूमि की तलाश शुरू कर दी जाएगी। इस संबंध में एसडीएम (कोटद्वार) को भूमि उपलब्ध कराने को कहा गया है।
-डॉ. पीडी चमोली, जिला आयुर्वेद अधिकारी
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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