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सोनिया रावत | उत्तराखंड के छोटे -छोटे कस्बो और शहरों में भी महानगरों की की तर्ज पर भिखारियों ने, डेरा डालना शुरू कर दिया है। भिकारियों ने श्रीनगर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में सक्रिय होकर लोगों का सड़क पर निकलना मुश्किल कर दिया है। भिखारियों ने अपने छोटे- छोटे समूह बना लिए है | इन समूहों में शामिल छोटे-छोटे बच्चे चंद पैसों के लिए पैर पकड़ने और कपड़े खींचने से भी नहीं चूक रहे हैं। कुछ समय पहले तक पहाड़ों में चंद घर-घर जाकर मांगने वाले गरीब व असहाय किस्म के भिखारी ही देखने को मिलते थे, लेकिन, बदलते वक्त के साथ-साथ यहां भी मैदानी नगरों के भिखारियों ने जाल फैलाना शुरु कर दिया है। अकेले श्रीनगर क्षेत्र में ही पिछले दिनों से करीब दो सौ भिखारियों की फौज पहुंची। इसमें बड़े-बूढ़े से लेकर महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
बड़े, बूढ़े और महिलाएं घर-घर जाकर भीख मांग रही है और बच्चे सड़क पर घूम-घूमकर पैसे जमा मांग रहे हैं। आलम यह है कि सरकारी कार्यालयों, अस्पताल, विश्वविद्यालय परिसर समेत तमाम जगहों पर इनकी अच्छी खासी तादाद को देखा जा सकता है। भीख मांगने में पारंगत यह बंच्चे पैसों के लिए लोगों के पैर पकड़ने से लेकर कपड़े खींचने तक में नहीं हिचकिचाते। इसके कारण लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इनके कारण क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लगने लगे हैं। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार इनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार पुलिस का है। 'भिखारियों के क्षेत्र में पहुंचने का मामला संज्ञान में नहीं है। हम तुरंत उन क्षेत्रों में जाकर आगे की कार्रवाई करेंगे। गणतंत्र दिवस को देखते हुए यह मामला सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है|
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