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गोपेश्वर, जागरण कार्यालय: कहते हैं कला कहीं से भी अपना रूप धारण कर ही लेती है। फिर वो चाहे निर्जीव पत्थरों से सजीव मूर्तियां बनकर उभरे या फिर बेकार समझे जाने वाले कूड़े से आकर्षक वस्तुएं बन कर निकले। ऐसा ही कुछ हरीश ने कर दिखलाया। वेस्ट मैटीरियल से अनूठे मॉडल बनाकर हरीश ने एक ओर अपने हुनर को पहचान दी वहीं दूसरी ओर वेस्ट मैटीरियल की रिसाइक्लिंग कर पर्यावरण संरक्षण का भी हल दिया है।
अनूठे हुनर के धनी गोपेश्वर निवासी हरीश चंद्र रुद्रियाल ने व्यर्थ सामग्री से सैकड़ों मॉडल तैयार किये हैं। अब हरीश यह ज्ञान स्कूली बच्चों को भी दे रहा है।
सुभाषनगर गोपेश्वर निवासी हरीश चन्द्र रुद्रियाल (28 वर्ष) के दिमाग में बचपन से ही कुछ नया करने का जुनून था। महज 14 वर्ष की आयु में उसके मन में विचार आया कि व्यर्थ सामग्री जो कूड़े में तब्दील हो जाती है, उसे कैसे उपयोग में लाया जाए। काफी सोच-विचार करने के बाद उसने सोचा कि क्यों न वेस्ट मैटीरियल से विभिन्न मॉडल बनाए जाएं। कड़ी मेहनत करने के बाद उसकी कल्पना उस समय साकार हुई, जब उसने लौकी के छिलकों से एक हवाई जहाज तैयार कर लिया। जहाज के उस मॉडल में इतनी सजीवता थी कि लोग उसकी तारीफ किए बगैर नहीं रह पाते। हरीश लगन और मेहनत से अपने हुनर को तराशता रहा। इसी का नतीजा है कि वो अब किसी भी व्यर्थ सामग्री को उपयोगी बना देता है। आइसक्रीम पर लगी डण्डी से उसने केदारनाथ भगवान का मंदिर, टूटे शीशे से ताजमहल, माचिस की तीलियों से जोकर, मोर आदि बनाकर सभी को हैरत में डाल दिया है। पिता का रोजगार न होने और छ: भाई-बहन होने की वजह से हरीश के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। लिहाजा, मॉडलों को बेचकर वो किसी तरह अपने परिवार का गुजारा करता है। हरीश चाहता है कि अधिक से अधिक लोग उसके हुनर को सीखें, इसलिए वो एक गैर सरकारी संस्था के साथ जुड़कर स्कूली छात्र-छात्राओं को मॉडल बनाने का प्रशिक्षण देता है। जीजीआइसी गोपेश्वर की छात्राओं के एक दल ने हरीश के नेतृत्व में ऊधमसिंहनगर में रेडक्रास सोसायटी की ओर से आयोजित मॉडल प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। राज्य स्तर की इस प्रतियोगिता में उन्हें प्रथम स्थान हासिल हुआ। हरीश का कहना है कि राज्य सरकार को इस तरह के अनूठे हुनर को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि इसका प्रशिक्षण लेकर अधिक से अधिक लोग इस स्वरोजगार के रूप में अपना सकें।
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अनूठे हुनर के धनी गोपेश्वर निवासी हरीश चंद्र रुद्रियाल ने व्यर्थ सामग्री से सैकड़ों मॉडल तैयार किये हैं। अब हरीश यह ज्ञान स्कूली बच्चों को भी दे रहा है।
सुभाषनगर गोपेश्वर निवासी हरीश चन्द्र रुद्रियाल (28 वर्ष) के दिमाग में बचपन से ही कुछ नया करने का जुनून था। महज 14 वर्ष की आयु में उसके मन में विचार आया कि व्यर्थ सामग्री जो कूड़े में तब्दील हो जाती है, उसे कैसे उपयोग में लाया जाए। काफी सोच-विचार करने के बाद उसने सोचा कि क्यों न वेस्ट मैटीरियल से विभिन्न मॉडल बनाए जाएं। कड़ी मेहनत करने के बाद उसकी कल्पना उस समय साकार हुई, जब उसने लौकी के छिलकों से एक हवाई जहाज तैयार कर लिया। जहाज के उस मॉडल में इतनी सजीवता थी कि लोग उसकी तारीफ किए बगैर नहीं रह पाते। हरीश लगन और मेहनत से अपने हुनर को तराशता रहा। इसी का नतीजा है कि वो अब किसी भी व्यर्थ सामग्री को उपयोगी बना देता है। आइसक्रीम पर लगी डण्डी से उसने केदारनाथ भगवान का मंदिर, टूटे शीशे से ताजमहल, माचिस की तीलियों से जोकर, मोर आदि बनाकर सभी को हैरत में डाल दिया है। पिता का रोजगार न होने और छ: भाई-बहन होने की वजह से हरीश के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। लिहाजा, मॉडलों को बेचकर वो किसी तरह अपने परिवार का गुजारा करता है। हरीश चाहता है कि अधिक से अधिक लोग उसके हुनर को सीखें, इसलिए वो एक गैर सरकारी संस्था के साथ जुड़कर स्कूली छात्र-छात्राओं को मॉडल बनाने का प्रशिक्षण देता है। जीजीआइसी गोपेश्वर की छात्राओं के एक दल ने हरीश के नेतृत्व में ऊधमसिंहनगर में रेडक्रास सोसायटी की ओर से आयोजित मॉडल प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। राज्य स्तर की इस प्रतियोगिता में उन्हें प्रथम स्थान हासिल हुआ। हरीश का कहना है कि राज्य सरकार को इस तरह के अनूठे हुनर को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि इसका प्रशिक्षण लेकर अधिक से अधिक लोग इस स्वरोजगार के रूप में अपना सकें।
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