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Tuesday, January 25, 2011

आल्वा ने दिखाई राह, केंद्र ने कहा वाह

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यदि सब कुछ ठीक रहा तो गर्भवती महिलाएं कुपोषण का शिकार नहीं होंगी। इस बार जो योजना देश में लागू हुई है, उसमें काफी कुछ नया है। इतना ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड की राज्यपाल के अहम सुझावों को केंद्र सरकार ने इस योजना से जोड़ा ही नहीं है, बल्कि सभी राज्यों को इनके अनुरूप काम करने के लिए निर्देशित भी किया है। महिला कल्याण के लिए लागू पूर्व की योजनाओं में जो खामियां रही हैं, वह इसमें नहीं दिखाई दें, इसे लेकर ही केंद्र ने यह पहल की है।
गरीब परिवारों की गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए मंत्रालय ने पूर्व की योजनाओं को जारी रखते हुए गत नवंबर में एक नई योजना 'इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना' शुरू की। योजना में गर्भवती महिला को निकट के आंगनबाड़ी केंद्र में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद यहां के मापदंड और दिशा-निर्देशों के अनुसार आईएएफ टेबलेट का सेवन, प्रसव पूर्व और बाद में स्वास्थ्य जांच, टीकाकारण, स्तनपान आदि पर पूरा ध्यान देना होगा। रजिस्ट्रेशन के कुछ दिन बाद ही महिला को डेढ़ हजार व प्रसव के तीन माह के भीतर दो किस्तों में डेढ़-डेढ़ व तीसरी किस्त में एक हजार रुपये दिए जाने का प्रस्ताव है ताकि महिला खुद व नवजात का बेहतर ढंग से पालन-पोषण कर सके। अब बात इसके क्रियान्वयन की। सूबे की राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा ने योजना में खासी रुचि दिखाई। उन्होंने राज्य में इसे शीघ्र प्रभावी करने को लेकर मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल को पत्र लिखा। योजना का पूरा लाभ पात्र लोगों को कैसे मिले इसे लेकर उन्होंने कई सुझाव भी दिए हैं। इसमें लाभार्थी को दी जाने वाली धनराशि सीधे उसके बैंक खाते में डालने, लाभार्थी का एक कार्ड बनाने, इसमें उक्त धनराशि का पूरा विवरण अंकित करने, बाल विकास अधिकारी व जिला कार्यक्रम अधिकारी को लाभार्थी के घर की तीन बार विजिट करने व आंगनबाड़ी केंद्र पर लाभार्थी का पूरा ब्यौरा मौजूद होने की अनिवार्यता शामिल है।
पिछले सप्ताह दिल्ली में आयोजित योजना की समीक्षा बैठक में केंद्रीय महिला एंव बाल विकास मंत्रालय ने राज्यपाल श्रीमती आल्वा के सुझावों की जमकर सराहना की। मंत्रालय का मानना है कि इन सुझावों पर अमल करने से योजना का शत-प्रतिशत लाभ पात्र लोगों को मिलेगा। मंत्रालय पूर्व में संचालित योजनाओं में इन सुझावों को लागू करने पर विचार कर रहा है। बैठक में मंत्रालय के संयुक्त सचिव विनीत जोशी की ओर से सभी राज्यों को इन सुझावों पर अमल करने के निर्देश दिए गए।

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