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Sunday, January 23, 2011

वरदान से लहलहाएंगे खेत, फलों के भी लगेंगे ढेर

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श्रीनगर : राज्य के उच्च शिखरीय क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी भले ही स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हो, लेकिन जल्द ही इसका फायदा भी लोगों को मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार बर्फबारी क्षेत्र की फसलों और बागवानी के लिए वरदान साबित होगी। इसका सकारात्मक असर उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता पर भी देखने को मिलेगा। साथ ही, क्षेत्र में गर्मियों में पानी की किल्लत भी कम होगी।
उत्तर हिमालय में बसे उत्तराखंड के उच्च शिखरीय क्षेत्रों में इस वर्ष रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी हुई। एक ओर जहां स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने इसका लुत्फ उठाया, वहीं स्थानीय लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन जल्द ही स्थानीय किसानों को इसका फायदा भी मिलेगा। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के अनुसार भारी बर्फबारी से उच्च हिमालय के इन क्षेत्रों की कई वनस्पतियों, फसलों और फल उत्पादन को फायदा होगा। उत्पादन की मात्रा से लेकर गुणवत्ता तक में इसका अच्छा प्रभाव देखने को मिलेगा।
उच्च शिखरीय पादप कार्यकी एवं शोध संस्थान (हेप्रेक) के निदेशक प्रो. एआर नौटियाल और उद्यानिकी विभाग के प्रो. एसएस रावत के अनुसार, उच्च शिखरीय क्षेत्रों में वनस्पतियों, फसलों और फलों को उत्पादन के लिए ठंडे तापमान और अधिक नमी की आवश्यकता होती है। दिसम्बर अंत और जनवरी शुरू में हुई बर्फबारी से सुसुप्तावस्था में रहने वाले कई बीजों, पौधों और पेड़ों को नवजीवन मिलता है। यहां उगने वाली इन फसलों को कम तापमान की आवश्यकता होती है। पतझड़ के बाद इन्हें दो से तीन माह तक लगातार दो से सात डिग्री का औसत तापमान चाहिए है। वहीं भारी बर्फबारी से गर्मियों में होने वाली पेयजल किल्लत भी कम होने का अनुमान है। विशेषज्ञों के अनुसार भारी बर्फबारी से भूजल के स्तर में इजाफा हुआ है, साथ ही पहाड़ों पर बर्फ अधिक होने से नदियों में भी पानी की मात्रा बढ़ेगी। इससे पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों को ज्यादा मात्रा में पानी मिल सकेगा।
इन वनस्पतियों, फसलों और फलों को होगा लाभ
वन ककड़ी, एगोनाइस, एक्वानाइटम, भोटिया बादाम, सेब, माल्टा, आडू, नाशपाती, अखरोट, चेस्ट नट, चेरी, पिस्ता, गेहूं समेत अन्य नमी वाली फसलें।
'उच्च शिखरीय क्षेत्रों में उगने वाली सभी वनस्पतियों के लिए बहुत कम तापमान की आवश्यकता होती है। इस समय होने वाली बर्फबारी से सुसुप्तावस्था में पड़े बीजों और पेड़ों पर नया अंकुरण प्रारंभ होता है। फरवरी प्रारंभ में लगने वाली नई कोपलों और अंकुरण पर इनका फायदा देखा जा सकता है।'
प्रो. एआर नौटियाल, निदेशक, हेप्रेक संस्थान
'हाई एप्लीट्यूड में उगने वाले फलों के लिए दिसम्बर प्रारंभ से जनवरी अंत तक सामान्यत: कम तापमान की आवश्यकता होती है। ऐसे में बर्फबारी होने से उनको अनुकूल तापमान और नमी मिलती है। इससे अंकुरण और नई कोपलों के विकास को मदद मिलती है।'
in.jagran.yahoo.com se sabhar

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