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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के लोक संस्कृति एवं कला निष्पादन केंद्र और शैलनट संस्था के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा में रंगमंच की भूमिका पर सेमिनार का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने शिक्षा के विभिन्न आयामों में रंगमंच की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए इसका अधिक प्रयोग करने की आवश्यकता जताई।
बिड़ला परिसर के डीन फैकल्टी सभागार में तीन दिवसीय नाट्योत्सव का उद्घाटन किया गया। विवि के कुलपति प्रो. श्रीकृष्ण सिंह, सिनेमा व थिएटर से जुड़े प्रसिद्ध रंगकर्मी सुदर्शन जुयाल, स्कूल ऑफ आर्ट्स के डीन प्रो. एसएस देव, शैलनट के अध्यक्ष विमल बहुगुणा, केंद्र के विजीटिंग प्रोफेसर श्रीष डोभाल और नवीन प्रकाश नौटियाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर आयोजित सेमिनार में जुयाल ने कहा कि रंगमंच ने प्राथमिक से लेकर उच्च और भाषाओं की शिक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान अदा किया है। उन्होंने रंगमंच में गुणवत्तापरक प्रस्तुतियों की संख्या बढ़ाने के लिए कलाकारों से आगे आने का आह्वान किया। कुलपति प्रो. एसके सिंह ने कहा कि रंगमंच आम जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पहलू है। बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक रंगमंच ने अपनी उपयोगिता साबित की है। केन्द्र के विजीटिंग प्रोफेसर व कार्यक्रम के मॉडरेटर श्रीष डोभाल ने कहा कि रंगमंच को सम्मानजनक व्यवसाय बनाने को इसकी गुणवत्ता सुधारी जानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि अच्छे कथानक अभिनय और संवादों पर दर्शक रंगमंच से जुड़ाव महसूस करते हैं। शैलनट के अध्यक्ष विमल बहुगुणा ने रंगमंच की अपनी यात्रा के संस्मरण साझा किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राकेश भट्ट ने किया। कार्यक्रम संयोजक नीरज नैथानी, डॉ. स्वर्ण रावत, डॉ. प्रकाश नौटियाल, प्रो. डीआर पुरोहित, डॉ. अशोक बडोनी, परवेज अहमद, एमसी ममगांई, देवेन्द्र उनियाल, सुधीर डंगवाल समेत आयोजन समिति के सभी सदस्यों ने सहयोग दिया।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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