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Wednesday, March 30, 2011

उत्तराखंड: नये जिलों का मुद्दा गर्माया

http://garhwalbati.blogspot.com
करीब एक दशक पहले गठित उत्तराखंड में अब नये जिले बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है.
विभिन्न राजनैतिक दल अपने-अपने तरीके से इसकी हिमायत कर रहे हैं. राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधान सभा चुनावों के मद्देनजर प्रमुख विपक्षी कांग्रेस ने जहां लोगों की सुविधाओं और समस्याओं के बेहतर ढंग से निवारण का हवाला देते हुये राज्य में नये जिलों के गठन की पुरजोर मांग की है वहीं सरकार ने फिलहाल राज्य में नये जिले के गठन के किसी प्रकार के प्रस्ताव से इन्कार किया है.

राज्य विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत ने बातचीत में बताया कि राज्य का गठन हुए दस वर्ष से भी अधिक समय बीत चुका है और तब से लेकर अब तक राज्य की जनसंख्या भी बढी है. लोगों को अपनी प्रशासनिक समस्याओं के निपटारे के लिये दो सौ से तीन सौ किलोमीटर तक जाना पड़ता है. कुछ जिले तो ऐसे हैं जहां पहुंचने में पूरे-पूरे दिन लग जाते हैं. ऐसे में नये जिलों के गठन से लोगों को काफी सहूलियत हो जायेगी.

दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने अपने संगठन की दृष्टि से राज्य में पहले ही कुल 22 जिले बना रखे हैं. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मुकेश महेन्द्रू ने बताया कि उत्तराखंड में प्रशासनिक दृष्टि से वर्तमान में 13 जिले हैं और दो मंडल हैं लेकिन भाजपा ने संगठनात्मक सुविधा के लिये पहले से ही 22 जिले बना रखे हैं. भाजपा ने इस सिलसिले में सरकार को प्रस्ताव भी प्रेषित कर रखा है.
    
उन्होने कहा कि लोगों को प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से नये जिले बनाये जाने चाहिये. राजधानी देहरादून को ही दो जिलों देहरादून और विकासनगर में विभक्त करने की जरूरत है जबकि इसी तरह हरिद्वार जिले को भी रूडकी और हरिद्वार में बांटना चाहिये.

उन्होंने कहा कि राज्य में कम से कम नौ और जिले बनाये जाने की जरूरत हैं ताकि लोगों को प्रशासनिक समस्याओं से निजात मिल सके. इसी तरह बहुजन समाज पार्टी ने भी राज्य में लोगों की सुविधा के लिये और अधिक जिले बनाये जाने पर जोर दिया है. विधानसभा में बसपा विधायक दल के नेता मुहम्मद शहजाद ने कहा कि वर्तमान में कार्यरत जिले काफी पुराने हैं और उस समय लोगों की संख्या भी कम थी लेकिन अब आबादी बढ़ गयी है. इससे लोगों को अपनी समस्याओं का निपटारा करने में भारी दिक्कत का सामना करना पडता है.

उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में नये जिले बनाये जाने के मुद्दे को लेकर आंदोलन चला रहे मैदानी क्रांति दल ने आरोप लगाया है कि विभिन्न राजनैतिक दल इस मुद्दे का राजनैतिक लाभ उठाने के चक्कर में है ताकि अगले चुनाव के समय उन्हें इसका लाभ मिल सके.

दल के अध्यक्ष नरेश कुमार और महासचिव आसिफ अली ने बताया कि उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों को विभाजित कर नये जिले बनाये जाने चाहिये. मैदानी क्षेत्रों में विकासनगर, रूडकी, कोटद्वार, काशीपुर, हल्द्वानी और खटीमा को राज्य में नया जिलों का दर्जा दिया जाना चाहिये.

कुमार और अली ने बताया कि जल्दबाजी में बनाये गये उत्तराखंड में पुराने जिलों के ही बने रहने के चलते लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उत्तराखंड अपूर्ण और कमजोर है. यहां के लोग अपनी छोटी छोटी समस्याओं के लिये कई कई मील का चक्कर लगाने को मजबूर हैं.

नेताओं ने कहा कि प्रदेश के एक भाग से दूसरे भाग में जाने के लिये उत्तर प्रदेश से बार-बार गुजरना पड़ता है. उत्तर प्रदेश के ऐसे इलाकों को भी उततराखंड में शामिल करना जरूरी है.

उन्होने मांग की कि उत्तरप्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और बिजनौर जिलों को उत्तराखंड में शामिल किया जाना चाहिये. राज्य विधान सभा में भी 22 मार्च को नये जिले बनाये जाने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों ने जबर्दस्त हंगामा किया था जिसके चलते सदन की कार्यवाही भी स्थगित करनी पड़ी थी.
samalylive.com se sabhar

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