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पाकिस्तान के विकेट गिरते गए और युवाओं की भीड़ सड़कों पर उतरती रही
देहरादून। भारत माता की जय...धोनी ब्रिगेड जिंदाबाद के नारों से राजधानी की सड़कें गूंज उठीं। ढोल नगाड़े बजने लगे। आसमान आतिशबाजी से रंगीन हो उठा। अनगिनत दुपहिया और चौपहिया सड़कों पर उतर गए। फोन की घंटियां घनघना उठीं। हर कोई एक दूसरे को बधाई दे रहा था। इतनी खुशी कि दिल में समा नहीं रही थी। युवा सड़कों पर कारों को रोक रहे थे। उनमें सवार लोगों को उतारकर अपने साथ डांस करा रहे थे। एक ही आग्रह, पहले नाचो फिर जाओ। पटेलनगर में सेना के जवानों को भी नचवा दिया। कोना-कोना देर रात तक गूंजता रहा-हिंदुस्तान जिंदाबाद। कारों में युवा तिरंगा लहराते हुए जश्न मना रहे थे। आसमान आतिशबाजी से रोशन था। शहर के केंद्र घंटाघर पर तो हजारों युवाओं ने तीन ओवर पहले ही खुशियां मनानी शुरू कर दी थीं।
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ऐसा अभी तक यूरोपियन और लेटिन अमेरिकी देशों में फुटबाल का खिताब जीतने के बाद टेलीविजन पर ही देखा था। पाकिस्तान पर २९ रन की जीत के साथ ही दून की सड़कों पर वही दृश्य दोहराए जा रहे थे। तकरीबन हर चौराहे और मुहल्लों में आतिशबाजी हो रही थी और ढोल बज रहे थे। वर्ल्ड कप के हाई वोल्टेज मैच को लेकर हर किसी के दिल की धड़कनें बढ़ी थीं। लेकिन जैसे-जैसे भारत जीत के नजदीक पहुंचता गया, लोगों का जोश देखने लायक था। पाकिस्तान के हर विकेट गिरने पर बम फोड़े जा रहे थे। लेकिन जब अंतिम ओवरों में जीत का लक्ष्य पहाड़ सा हो गया तो युवाओं ने घरों से निकलना शुरू कर दिया। कारों में सवार हों या पैदल चल रहे युवा, हर तरफ तिरंगा फहराया जा रहा था। अंतिम विकेट गिरते ही तकरीबन हर मौहल्लों से युवाओं की टोलियां निकलनी शुरू हो गई थी।
पटेलनगर, सहारनपुर चौक, प्रिंस चौक, दर्शनलाल चौक, दिलाराम बाजार चौक, बल्लुपुर चौक, किशननगर चौक समेत सभी चौराहों पर जमकर आतिशबाजी हो ही रही थी। युवा ढोल की थाप पर जमकर थिरक रहे थे। वंदे मातरम और भारत माता की जय के साथ माहौल पूरा देशभक्ति का हो गया था। चिर प्रतिद्वंद्वि पाकिस्तान पर जीत के साथ फाइनल में पहुंचने पर भारतीय खिलाड़ियों के नाम लेकर नारेबाजी होने लगी थी। वैसे हर चौराहे पर पुलिस की व्यवस्था थी, लेकिन युवाओं की देशभक्ति के सामने उन्होंने भी ज्यादा टोकाटोकी नहीं की।
पाकिस्तान के विकेट गिरते गए और युवाओं की भीड़ सड़कों पर उतरती रही
देहरादून। भारत माता की जय...धोनी ब्रिगेड जिंदाबाद के नारों से राजधानी की सड़कें गूंज उठीं। ढोल नगाड़े बजने लगे। आसमान आतिशबाजी से रंगीन हो उठा। अनगिनत दुपहिया और चौपहिया सड़कों पर उतर गए। फोन की घंटियां घनघना उठीं। हर कोई एक दूसरे को बधाई दे रहा था। इतनी खुशी कि दिल में समा नहीं रही थी। युवा सड़कों पर कारों को रोक रहे थे। उनमें सवार लोगों को उतारकर अपने साथ डांस करा रहे थे। एक ही आग्रह, पहले नाचो फिर जाओ। पटेलनगर में सेना के जवानों को भी नचवा दिया। कोना-कोना देर रात तक गूंजता रहा-हिंदुस्तान जिंदाबाद। कारों में युवा तिरंगा लहराते हुए जश्न मना रहे थे। आसमान आतिशबाजी से रोशन था। शहर के केंद्र घंटाघर पर तो हजारों युवाओं ने तीन ओवर पहले ही खुशियां मनानी शुरू कर दी थीं।
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ऐसा अभी तक यूरोपियन और लेटिन अमेरिकी देशों में फुटबाल का खिताब जीतने के बाद टेलीविजन पर ही देखा था। पाकिस्तान पर २९ रन की जीत के साथ ही दून की सड़कों पर वही दृश्य दोहराए जा रहे थे। तकरीबन हर चौराहे और मुहल्लों में आतिशबाजी हो रही थी और ढोल बज रहे थे। वर्ल्ड कप के हाई वोल्टेज मैच को लेकर हर किसी के दिल की धड़कनें बढ़ी थीं। लेकिन जैसे-जैसे भारत जीत के नजदीक पहुंचता गया, लोगों का जोश देखने लायक था। पाकिस्तान के हर विकेट गिरने पर बम फोड़े जा रहे थे। लेकिन जब अंतिम ओवरों में जीत का लक्ष्य पहाड़ सा हो गया तो युवाओं ने घरों से निकलना शुरू कर दिया। कारों में सवार हों या पैदल चल रहे युवा, हर तरफ तिरंगा फहराया जा रहा था। अंतिम विकेट गिरते ही तकरीबन हर मौहल्लों से युवाओं की टोलियां निकलनी शुरू हो गई थी।
पटेलनगर, सहारनपुर चौक, प्रिंस चौक, दर्शनलाल चौक, दिलाराम बाजार चौक, बल्लुपुर चौक, किशननगर चौक समेत सभी चौराहों पर जमकर आतिशबाजी हो ही रही थी। युवा ढोल की थाप पर जमकर थिरक रहे थे। वंदे मातरम और भारत माता की जय के साथ माहौल पूरा देशभक्ति का हो गया था। चिर प्रतिद्वंद्वि पाकिस्तान पर जीत के साथ फाइनल में पहुंचने पर भारतीय खिलाड़ियों के नाम लेकर नारेबाजी होने लगी थी। वैसे हर चौराहे पर पुलिस की व्यवस्था थी, लेकिन युवाओं की देशभक्ति के सामने उन्होंने भी ज्यादा टोकाटोकी नहीं की।
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