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गुरुकुल कांगड़ी विवि के १११ वें दीक्षांत समारोह में डिग्री पाने वाले छात्र-छात्राओं की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। हाथों में डिग्री लेकर विद्यार्थी जब गुरुकुल से बाहर निकले तो उनकी आंखों में भविष्य के सपने थे। अच्छा शिक्षक, प्रबंधक और इंजीनियर बनने के लिए इन्होंने जो योजना बनाई है, गुरुकुल से निकलने के बाद उसे धरातल पर लाने के प्रयास शुरू हो जाएंगे।
डिग्री प्राप्त कर छात्र-छात्राएं जैसे ही विवि भवन से बाहर निकले तो खुशी से उछल पड़े। छात्र-छात्राओं के परिजनों ने उन्हें गले से लगा लिया। कई परिजनों की आंखे भर आई। परिजनों ने बच्चों को गाउन में देखा तो उन्हें लगा कि उनके सपने सच हो रहे हैं। बच्चों ने भी माता-पिता और अन्य परिजनों के पैर छुकर आर्शीवाद लिया। मनोविज्ञान में पीएचडी की डिग्री पाने वाली तूलिका कुश, अंग्रेजी में सरोज शर्मा, संस्कृत में हरीश गुरुरानी और जितेंद्र सिंह, ओमप्रकाश, अजीत आदि का कहना था कि दीक्षांत समारोह में उन्हें जो दीक्षा मिली है, उसका पालन करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे। छात्र-छात्राओं का कहना था कि यह जीवन का अमूल्य पल है। पांच मार्च का दिन जेहन में हमेशा घूमता रहेगा।
डिग्री प्राप्त कर छात्र-छात्राएं जैसे ही विवि भवन से बाहर निकले तो खुशी से उछल पड़े। छात्र-छात्राओं के परिजनों ने उन्हें गले से लगा लिया। कई परिजनों की आंखे भर आई। परिजनों ने बच्चों को गाउन में देखा तो उन्हें लगा कि उनके सपने सच हो रहे हैं। बच्चों ने भी माता-पिता और अन्य परिजनों के पैर छुकर आर्शीवाद लिया। मनोविज्ञान में पीएचडी की डिग्री पाने वाली तूलिका कुश, अंग्रेजी में सरोज शर्मा, संस्कृत में हरीश गुरुरानी और जितेंद्र सिंह, ओमप्रकाश, अजीत आदि का कहना था कि दीक्षांत समारोह में उन्हें जो दीक्षा मिली है, उसका पालन करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे। छात्र-छात्राओं का कहना था कि यह जीवन का अमूल्य पल है। पांच मार्च का दिन जेहन में हमेशा घूमता रहेगा।
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