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जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के प्राचार्य डॉ. महेश कुमार गुप्ता ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों की प्रथम पाठशाला है। इसलिए आंगनबाड़ी केंद्रों को संचालित करने वाली कार्यकत्रियों को बाल मनोविज्ञान को समझते हुए उन्हें शिक्षित करना चाहिए। पठन-पाठन क्रियात्मकता पर आधारित होना चाहिए, ताकि बच्चे विषय वस्तु को आसानी से समझ सकें। श्री गुप्ता ने यह बात संस्थान में चल रहे आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के प्रशिक्षण के दौरान कही
डॉ. गुप्ता ने कहा कि आंगनबाड़ी स्कूलों का शिक्षा के क्षेत्र में प्ले स्कूलों की भांति रोल होता है। यहां पर बच्चा स्कूल में बैठने के तौर-तरीकों को सीखता है। साथ ही खेल-खेल में कई विषय वस्तुओं से भी अवगत कराया जाता है। इसलिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को चाहिए कि वह बच्चों को गतिविधि आधारित शिक्षा दें ताकि उसकी शिक्षा नींव मजबूत हो सके। इस मौके पर प्रवक्ता संध्यापाल ने कहा कि राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा-2005 में भी इस बात पर जोर दिया है कि प्राइमरी से लेकर इंटरमीडिएट तक क्रिया आधारित पाठ्यक्रम ही तैयार किया है। इस मौके पर डॉ. रीता नेगी, सरोजनी गुप्ता आदि ने विचार व्यक्त किए। प्रशिक्षण कार्यक्रम 17 मार्च तक चलेगा।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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