http://garhwalbati.blogspot.com
कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए पर्यावरणविद् चण्डी प्रसाद भट्ट ने कहा कि विज्ञान प्रौद्योगिकी के युग में परंपरागत ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिए जाने के साथ ही ज्ञान को संरक्षित करने की जरूरत है। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. केके श्रीवास्तव ने कहा कि हमें अपनी योग्यताओं को समझते हुए अनुवेषण की दिशा में कार्य करना चाहिए, तभी बौद्धिक संपदा अधिकार का उद्देश्य प्राप्त होगा। यूकोस्ट के निदेशक डॉ.राजेंद्र डोभाल ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण के लिए हमें ठोस कदम उठाने की जरूरत है। एनआरडीसी नई दिल्ली के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. सीएम डैंग ने बताया कि पहाड़ के परंपरागत ज्ञान के साथ जड़ी-बूटियों के जरिए ही जब इलाज होता था। लॉ कालेज के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार कान्ट्रू ने बौद्धिक संपदा कानून को अधिकाधिक प्रचारित किए जाने की जरूरत बताया। जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान मंडल के निदेशक डॉ.आरसी सुंदरियाल ने कहा कि हम अपनी शिक्षा, क्रिया एवं अनुभव से जिस ज्ञान को प्राप्त करते हैं, वह बौद्धिक संपदा के दायरे में आता है। यूकोष्ठ के जिला समन्वयक डॉ. डीसी नैनवाल ने कहा कि इस तरह की संगोष्ठी एवं कार्यशालाओं के आयोजन से स्थानीय स्तर पर लोगों को लाभ मिलने के साथ-साथ उपयोगी जानकारी भी मिलती है। दो दिवसीय कार्यशाला में डॉ. वीएन खाली, डॉ.जीआर सेमवाल, डॉ. दक्षा जोशी, डॉ. एसकेएस यादव, डॉ. एसपी सती, डॉ.एससी नौटियाल, डॉ.आरके जोशी, डॉ.बीपी देवली, डॉ.एसएस रावत आदि प्राध्यापकों ने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.एपी सिंह ने किया।
in.jagran.yahoo.com se sabhar











No comments:
Post a Comment
thank for connect to garhwali bati