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उत्तराखंड में पहली बार शुरू की गयी शीतकालीन चारधाम यात्रा से इलाके के हजारों कारोबारियों के चेहरों पर रौनक है|
पूरे छह महीने तक बेकार बैठकर ग्रीष्म काल की चारधाम यात्रा का इंतजार करने वाले हजारों कारोबारियों के लिए यह यात्रा किसी संजीवनी से कम नहीं होगी.
राज्य सरकार ने चार धाम के रूप में विख्यात यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा पहली बार शीतकाल के दौरान गत एक मार्च से शुरू की है. इस यात्रा में सर्दी होने के बावजूद सैकड़ों की संख्या में तीर्थयात्री प्रतिदिन चारधाम का दर्शन करने के लिये जा रहे हैं और इससे परिवहन, रेस्टोरेंट, होटल, धर्मशाला, संचालकों के अतिरिक्त कुलियों को शीतकाल के दौरान पहली बार रोजगार मिला है.
आमतौर पर शीतकाल के दौरान चारधाम तीर्थों के पास स्थित होटल और धर्मशालायें वीरान रहती हैं और इसके संचालकों को कोई आमदनी नहीं होती है बल्कि केवल खर्च ही होता है.
राज्य के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बातचीत में बताया कि देश में पहली बार शुरू की गयी शीतकालीन चार धाम यात्रा अब प्रत्येक वर्ष आयोजित की जायेगी और इस तरह अब यह यात्रा बारहों महीने चलेगी.
निशंक ने बताया कि इस यात्रा से उन हजारों लोगों को पूरे बरस रोजगार मिलेगा, जो साल के छह महीने कमाई के लिये तरसते थे. इससे उन लोगों की वर्ष भर आजीविका और राज्य को राजस्व मिलेगा.
उन्होंने कहा कि यात्रा की इस नयी व्यवस्था से देश और विदेश के उन हजारों लोगों की भी चारधाम यात्रा की हसरत पूरी हो जायेगी जो किसी कारण से ग्रीष्मकाल के मौसम में इस यात्रा पर नहीं आ पाते थे. कई देशों में लोगों को शीतकाल के दौरान ही छुट्टी होती है, उन्हें भी इस यात्रा पर आने में सुविधा होगी. ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है.
उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि गत एक मार्च को ऋषिकेश से चार बसों को हरी झंडी दिखाकर इस यात्रा का शुभारम्भ किया गया था. अब हर दिन तीस से चालीस बसें यात्रियों को लेकर जा रही हैं.
उन्होंने बताया कि यमुनोत्री के शीतकाल आवास खरसाली, गंगोत्री के शीतकाल आवास मुखीमठ, केदारनाथ के शीतकाल आवास उखीमठ और बद्रीनाथ के शीतकाल आवास जोशीमठ और पांडुकेर तक यात्रियों को ले जाकर दर्शन कराया जा रहा है.
चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष सूरत राम नौटियाल ने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने श्रद्धालुओं को चारधाम तीर्थ के शीतकाल निवास का दर्शन कराने के लिए शीतकालीन यात्रा शुरू की है. इससे ग्रीष्मकाल में इस यात्रा पर आने से वंचित रह जाने वाले लोग इसका लाभ कमा सकेंगे.
उन्होंने कहा कि इस नये यात्रा कार्यक्रम से ग्रीष्मकाल के समय चारधाम की यात्रा पर आने वाली भारी भीड़ से भी निजात मिल सकेगी और लोग अपनी सुविधानुसार उत्तराखंड के चार धाम और इससे जुडे अन्य धामों का भी दर्शन पूजन कर सकेंगे. इससे उन लोगों को तो सुविधा होगी ही इसके साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
नौटियाल ने बताया कि चार धाम यात्रा उत्तराखंड की जीवन रेखा मानी जाती है लेकिन यात्रा कार्यक्रम केवल छह महीने का होने के कारण स्थानीय व्यापारी और यात्रा से जुड़े अन्य तरीकों से आजीविका चलाने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. अब उनकी मुश्किलें कुछ आसान हो जाएंगी और राज्य को भी अच्छी खासी आमदनी होगी.
उन्होंने बताया कि शीतकाल के दौरान चार धाम यात्रा के लिये सरकार के स्तर पर तीर्थयात्रियों के जगह-जगह ठहरने और पार्किंग की व्यवस्था की गयी है|
samaylive.com se sabhar
राज्य सरकार ने चार धाम के रूप में विख्यात यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा पहली बार शीतकाल के दौरान गत एक मार्च से शुरू की है. इस यात्रा में सर्दी होने के बावजूद सैकड़ों की संख्या में तीर्थयात्री प्रतिदिन चारधाम का दर्शन करने के लिये जा रहे हैं और इससे परिवहन, रेस्टोरेंट, होटल, धर्मशाला, संचालकों के अतिरिक्त कुलियों को शीतकाल के दौरान पहली बार रोजगार मिला है.
आमतौर पर शीतकाल के दौरान चारधाम तीर्थों के पास स्थित होटल और धर्मशालायें वीरान रहती हैं और इसके संचालकों को कोई आमदनी नहीं होती है बल्कि केवल खर्च ही होता है.
राज्य के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बातचीत में बताया कि देश में पहली बार शुरू की गयी शीतकालीन चार धाम यात्रा अब प्रत्येक वर्ष आयोजित की जायेगी और इस तरह अब यह यात्रा बारहों महीने चलेगी.
निशंक ने बताया कि इस यात्रा से उन हजारों लोगों को पूरे बरस रोजगार मिलेगा, जो साल के छह महीने कमाई के लिये तरसते थे. इससे उन लोगों की वर्ष भर आजीविका और राज्य को राजस्व मिलेगा.
उन्होंने कहा कि यात्रा की इस नयी व्यवस्था से देश और विदेश के उन हजारों लोगों की भी चारधाम यात्रा की हसरत पूरी हो जायेगी जो किसी कारण से ग्रीष्मकाल के मौसम में इस यात्रा पर नहीं आ पाते थे. कई देशों में लोगों को शीतकाल के दौरान ही छुट्टी होती है, उन्हें भी इस यात्रा पर आने में सुविधा होगी. ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है.
उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि गत एक मार्च को ऋषिकेश से चार बसों को हरी झंडी दिखाकर इस यात्रा का शुभारम्भ किया गया था. अब हर दिन तीस से चालीस बसें यात्रियों को लेकर जा रही हैं.
उन्होंने बताया कि यमुनोत्री के शीतकाल आवास खरसाली, गंगोत्री के शीतकाल आवास मुखीमठ, केदारनाथ के शीतकाल आवास उखीमठ और बद्रीनाथ के शीतकाल आवास जोशीमठ और पांडुकेर तक यात्रियों को ले जाकर दर्शन कराया जा रहा है.
चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष सूरत राम नौटियाल ने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने श्रद्धालुओं को चारधाम तीर्थ के शीतकाल निवास का दर्शन कराने के लिए शीतकालीन यात्रा शुरू की है. इससे ग्रीष्मकाल में इस यात्रा पर आने से वंचित रह जाने वाले लोग इसका लाभ कमा सकेंगे.
उन्होंने कहा कि इस नये यात्रा कार्यक्रम से ग्रीष्मकाल के समय चारधाम की यात्रा पर आने वाली भारी भीड़ से भी निजात मिल सकेगी और लोग अपनी सुविधानुसार उत्तराखंड के चार धाम और इससे जुडे अन्य धामों का भी दर्शन पूजन कर सकेंगे. इससे उन लोगों को तो सुविधा होगी ही इसके साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
नौटियाल ने बताया कि चार धाम यात्रा उत्तराखंड की जीवन रेखा मानी जाती है लेकिन यात्रा कार्यक्रम केवल छह महीने का होने के कारण स्थानीय व्यापारी और यात्रा से जुड़े अन्य तरीकों से आजीविका चलाने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. अब उनकी मुश्किलें कुछ आसान हो जाएंगी और राज्य को भी अच्छी खासी आमदनी होगी.
उन्होंने बताया कि शीतकाल के दौरान चार धाम यात्रा के लिये सरकार के स्तर पर तीर्थयात्रियों के जगह-जगह ठहरने और पार्किंग की व्यवस्था की गयी है|
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